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यदि भारत के गौरवशाली इतिहास पर नजर डाली जाए तो तो भारत युगों तक विश्व गुरु रहा है। भारत द्वारा विश्व समुदाय को माननीय मूल्यों से ही परिचित नहीं करवाया अपितु ज्ञान व विज्ञान की नई रोशनी से समूचे विश्व को रोशन किया है। भारत ने अपनी संस्कृति का एक ऐसा चित्र प्रस्तुत किया है जो अनेक राष्ट्रों के आकर्षण का कारण ही नहीं रहा है अपितु अनेकबार इसकी अनुपालना करने का भी लोहा मनवाया है। यदि भारत के सर्वोच्च विकास पर नजर डाली जाए तो तो आज हम अगर पिछड़े हैं तो मात्र तकनीकी क्षेत्र में। इसके अनेक आर्थिक सामाजिक व राजनीतिक कारण रहे हैं परंतु विगत कई वर्षों में समूचे विश्व को आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते भारत के कदमों की आहट की आहट सुनाई देने लगी है। 

बात यदि भारत के एक महत्वपूर्ण राज्य राजस्थान की जाए तो शिक्षा के क्षेत्र में अभी काफी सुधार की आवश्यकता है। समूचे भारत के इतिहास को देखा जाये तो राजस्थान में भी इसकी वजह नारी क्षेत्र का शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा होना रहा है। सरकारी प्रयासों से अब ग्रामीण क्षेत्र में भी महिला वर्ग की जागरूकता शिक्षा के प्रति बढ़ी है। राजस्थान का कोटा शहर छात्रों को मेडिकल व इंजीनियरिंग की शिक्षा प्रदान करने का हब बन चुका है। यहां से प्रतिवर्ष अनेक डॉक्टर इंजीनियर अपने कामयाबी का झंडा सम्पूर्ण भारतवर्ष में फहरा चुके हैं। वाणिज्य विषय की बात करें तो समूचे राजस्थान में एक ही नाम उभर कर सामने आता है और यह है हमारी अपनी सूर्य नगरी जोधपुर। जोधपुर शहर ने पूरे भारत में जनसंख्या के घनत्व के आधार पर सर्वाधिक उच्च कोटि के सीए प्रदान किए हैं। जिनके कार्यों की चमक आज ना केवल समूचे भारत में वरन अन्य अनेक राष्ट्रों में भी नजर आ रही है। जोधपुर जिले के अनेक छोटे-छोटे गांवों से प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ विश्व स्तरीय खिलाड़ीयों ने भी भारत के स्तर को उठाने में अपना योगदान दिया है।

जोधपुर जिले के शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने में एक बड़ा योगदान जोधपुर षहर के नाकोड़ा पाश्र्वनाथ जैन महाविद्यालय का भी रहा है। ओसवाल सिंह सभा द्वारा शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने जो बेड़ा वर्ष 1987 में उठाया था आज उनके अनुकूल परिणाम समाज के प्रत्येक तबके को नजर आने लगे हैं। नाकोड़ा कॉलेज ओसवाल सिंह सभा के शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने कीे सोच की एक कड़ी है। इस संस्था ने वर्षों तक वाणिज्य विषय में जोधपुर संभाग में अपनी एक अनूठी मिसाल कायम की है। जिसका परिणाम यह रहा कि कॉलेज के प्रति वर्ष के छात्रों के शैक्षणिक परिणाम शिक्षा की गुणवत्ता, शैक्षणिक व अशैक्षणिक गतिविधियों, अनुभवी अध्यापकों, स्वच्छ वातावरण, उच्च कोटि का पुस्तकालय तथा कॉलेज परिसर में लड़कियों का हॉस्टल एवं अनुशासित शिक्षा प्रणाली से प्रभावित होकर विगत कुछ वर्षों में मात्र जोधपुर शहर के छात्र नहीं अपितु उनके अभिभावकों ने भी श्री ओसवाल सिंह सभा को कॉलेज में अन्य विषयों को प्रारंभ करने के लिए बाध्य किया है। उसका परिणाम है कि आज यहां बीकॉम के साथ-साथ बीए, बीएससी तथा तथा बीकॉम ऑनर्स, बीए बीएड और बीएससी बीएड के विषयों का सफलता पूर्वक अध्ययन करवाया जा रहा है।